- सूरदास जी के पद और कविताएं
- तुलसीदास की कविताएं
- भारत महिमा -जयशंकर प्रसाद
- हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद
- सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद
- आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद
- अरुण यह मधुमय देश हमारा -जयशंकर प्रसाद
- आत्मकथ्य -जयशंकर प्रसाद
- तुम कनक किरन -जयशंकर प्रसाद
- बीती विभावरी जाग री -जयशंकर प्रसाद
- दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद
- चित्राधार -जयशंकर प्रसाद
- लहर- जयशंकर प्रसाद
- अशोक की चिन्ता- जयशंकर प्रसाद
- ले चल वहाँ भुलावा देकर- जयशंकर प्रसाद
- निज अलकों के अंधकार में- जयशंकर प्रसाद
- मधुप गुनगुनाकर कह जाता- जयशंकर प्रसाद
- अरी वरुणा की शांत कछार- जयशंकर प्रसाद
- हे सागर संगम अरुण नील- जयशंकर प्रसाद
- उस दिन जब जीवन के पथ में- जयशंकर प्रसाद
- आँखों से अलख जगाने को- जयशंकर प्रसाद
- आह रे,वह अधीर यौवन- जयशंकर प्रसाद
- तुम्हारी आँखों का बचपन- जयशंकर प्रसाद
- अब जागो जीवन के प्रभात- जयशंकर प्रसाद
- कोमल कुसुमों की मधुर रात- जयशंकर प्रसाद
- कितने दिन जीवन जल-निधि में- जयशंकर प्रसाद
- मेरी आँखों की पुतली में- जयशंकर प्रसाद
- मेरी आँखों की पुतली में- जयशंकर प्रसाद
- जग की सजल कालिमा रजनी- जयशंकर प्रसाद
- वसुधा के अंचल पर- जयशंकर प्रसाद
- अपलक जगती हो एक रात- जयशंकर प्रसाद
- जगती की मंगलमयी उषा बन- जयशंकर प्रसाद
- चिर संचित कंठ से तृप्त-विधुर - जयशंकर प्रसाद
- काली आँखों का अंधकार- जयशंकर प्रसाद
- अरे कहीं देखा है तुमने- जयशंकर प्रसाद
- शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा- जयशंकर प्रसाद
- अरे!आ गई है भूली-सी- जयशंकर प्रसाद
- निधरक तूने ठुकराया तब- जयशंकर प्रसाद
- ओ री मानस की गहराई- जयशंकर प्रसाद
- मधुर माधवी संध्या में- जयशंकर प्रसाद
- अंतरिक्ष में अभी सो रही है- जयशंकर प्रसाद
- शेरसिंह का शस्त्र समर्पण- जयशंकर प्रसाद
- पेशोला की प्रतिध्वनि- जयशंकर प्रसाद
- मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं -गोपालदास नीरज
- दिया जलता रहा - गोपालदास नीरज
- तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
- दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे -गोपालदास नीरज
- जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज
- खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
- आदमी को प्यार दो -गोपालदास नीरज
- मानव कवि बन जाता है -गोपालदास नीरज
- मेरा गीत दिया बन जाए -गोपालदास नीरज
- है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये -गोपालदास नीरज
- मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज
- स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास नीरज
- पृथ्वीराज रासो -चंदबरदाई पृथ्वीराज रासो का एक अंश
- पद्मावती - चंदबरदाई
- प्रन्म्म प्रथम मम आदि देव - चंदबरदाई
- तन तेज तरनि ज्यों घनह ओप - चंदबरदाई
- कुछ छंद - चंदबरदाई
- झुक नहीं सकते -अटल बिहारी वाजपेयी
- अपने ही मन से कुछ बोलें -अटल बिहारी वाजपेयी
- मौत से ठन गई -अटल बिहारी वाजपेयी
- दूध में दरार पड़ गई -अटल बिहारी वाजपेयी
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-5
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-4
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-3
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-2
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-1
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-5
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-4
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-3
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-2
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-1
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - प्रथम सर्ग-भाग-2
- रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - प्रथम सर्ग-भाग-1
- Koi paar nadi ke gata - Harivansh Rai Bachchan
- Koi Deewana kahta hai - Kumar Vishwas कोई दीवाना कहता है (कविता) - कुमार विश्वास
- Agnipath Kavita- Harivansh Rai Bachchan (अग्निपथ - हरिवंश राय बच्चन)
- तुम मानिनि राधे - सुभद्राकुमारी चौहान
- खिलौनेवाला - सुभद्रा कुमारी चौहान
- Swadesh ke prati Kavita-Subhadra Kumari Chauhan स्वदेश के प्रति
- Pani aur Dhoop Kavita - पानी और धूप / सुभद्राकुमारी चौहान
- मधुमय प्याली-सुभद्रा कुमारी चौहान
- Thukra do ya pyar karo - Subhadra Kumari Chauhan
- Vyakul chah kavita - Subhadra Kumari Chauhan
- Rakhi Kavita- राखी Subhadra Kumari Chauhan
- Jaliyanwala Baag me basant Kavita - Subhadra Kumari Chauhan
- Mera Naya Bachpan kavita - Subhadra Kumari Chauhan
- Matru Mandir Kavita (मातृ मंदिर) Subhadra Kumari Chauhan
- Samarpan Kavita - Subhadra Kumari Chauhan
- Balika ka Parichay kavita (बालिका का परिचय- सुभद्रा कुमारी चौहान)
- आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर
- अटल बिहारी वाजपेयी की कविता - कदम मिलाकर चलना होगा
- निशा निमंत्रण -हरिवंशराय बच्चन ( Nisha Nimantran- Harivansh Rai Bachhan)
- मधुशाला के कुछ पद्य (Madhushala)
- तू खुद की खोज में निकल- Tanveer Ghanji
- पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
- ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं - रामधारी सिंह दिनकर
- अनोखा दान | Anokha Daan - Subhadra Kumari Chauhan
- खूनी हस्ताक्षर - गोपालप्रसाद व्यास, वह खून कहो किस मतलब का
- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
- वीर - " रामधारी सिंह दिनकर"
- जो बीत गई सो बात गई - हरिवंश राय बच्चन
- नर हो न निराश करो मन को - मैथिलीशरण गुप्त
- रुके न तू – हरिवंश राय बच्चन
- आराधना - सुभद्रा कुमारी चौहान
- कृष्ण की चेतावनी - रामधारी सिंह "दिनकर"
- यह कदम्ब का पेड़ - सुभद्राकुमारी चौहान