Veer Kavita - Ramdhari Singh Dinkar 

वीर " रामधारी सिंह दिनकर"


सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुहँ से न कभी उफ़ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शुलों का मूळ नसाते हैं,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाते हैं।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भितर,
मेंहदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।

Veer Kavita - Ramdhari Singh Dinkar वीर " रामधारी सिंह दिनकर"

Read More (और अधिक पढ़े ):

  1. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-5
  2. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-4
  3. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-3
  4. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-2
  5. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - तृतीय सर्ग - भाग-1
  6. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-5
  7. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-4
  8. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-3
  9. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-2
  10. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग - भाग-1
  11. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - प्रथम सर्ग-भाग-2
  12. रामधारी सिंह दिनकर - कुरुक्षेत्र - प्रथम सर्ग-भाग-1
  13. Koi paar nadi ke gata - Harivansh Rai Bachchan
  14. Koi Deewana kahta hai - Kumar Vishwas कोई दीवाना कहता है (कविता) - कुमार विश्वास
  15. Agnipath Kavita- Harivansh Rai Bachchan (अग्निपथ - हरिवंश राय बच्चन)
  16. तुम मानिनि राधे - सुभद्राकुमारी चौहान
  17. खिलौनेवाला - सुभद्रा कुमारी चौहान
  18. Swadesh ke prati Kavita-Subhadra Kumari Chauhan स्वदेश के प्रति
  19. Pani aur Dhoop Kavita - पानी और धूप / सुभद्राकुमारी चौहान
  20. मधुमय प्याली-सुभद्रा कुमारी चौहान
Previous Post Next Post