Doodh mein daraar pad gayi poem - atal bihari vajpayee
दूध में दरार पड़ गई -अटल बिहारी वाजपेयी
दूध में दरार पड़ गई -अटल बिहारी वाजपेयी
ख़ून क्यों सफ़ेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बँट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।
वसंत से बहार झड़ गई
दूध में दरार पड़ गई।
अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।
बात बनाएँ, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।
Doodh mein daraar pad gayi poem - atal bihari vajpayee II दूध में दरार पड़ गई -अटल बिहारी वाजपेयी
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