Sab Jeevan Bita Jata Hai - Jaishankar prasad II सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद
सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद
सब जीवन बीता जाता है
धूप छाँह के खेल सदॄश
सब जीवन बीता जाता है
समय भागता है प्रतिक्षण में,
नव-अतीत के तुषार-कण में,
हमें लगा कर भविष्य-रण में,
आप कहाँ छिप जाता है
सब जीवन बीता जाता है
बुल्ले, नहर, हवा के झोंके,
मेघ और बिजली के टोंके,
किसका साहस है कुछ रोके,
जीवन का वह नाता है
सब जीवन बीता जाता है
वंशी को बस बज जाने दो,
मीठी मीड़ों को आने दो,
आँख बंद करके गाने दो
जो कुछ हमको आता है
Sab Jeevan Bita Jata Hai - Jaishankar prasad II सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद
Read More:
- आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद
- अरुण यह मधुमय देश हमारा -जयशंकर प्रसाद
- आत्मकथ्य -जयशंकर प्रसाद
- तुम कनक किरन -जयशंकर प्रसाद
- बीती विभावरी जाग री -जयशंकर प्रसाद
- दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद
- चित्राधार -जयशंकर प्रसाद
- लहर- जयशंकर प्रसाद
- अशोक की चिन्ता- जयशंकर प्रसाद
- ले चल वहाँ भुलावा देकर- जयशंकर प्रसाद
- निज अलकों के अंधकार में- जयशंकर प्रसाद
- मधुप गुनगुनाकर कह जाता- जयशंकर प्रसाद
- अरी वरुणा की शांत कछार- जयशंकर प्रसाद
- हे सागर संगम अरुण नील- जयशंकर प्रसाद
- उस दिन जब जीवन के पथ में- जयशंकर प्रसाद
- आँखों से अलख जगाने को- जयशंकर प्रसाद
- आह रे,वह अधीर यौवन- जयशंकर प्रसाद
- तुम्हारी आँखों का बचपन- जयशंकर प्रसाद
- अब जागो जीवन के प्रभात- जयशंकर प्रसाद
- कोमल कुसुमों की मधुर रात- जयशंकर प्रसाद
- कितने दिन जीवन जल-निधि में- जयशंकर प्रसाद