Himadri Tung Shring se Kavita - Jaishankar Prasad II हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद


Himadri Tung Shring se Kavita - Jaishankar Prasad II हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, 
प्रबुद्ध शुद्ध भारती। 
 स्वयंप्रभा समुज्ज्वला, 
स्वतंत्रता पुकारती॥
 अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञ सोच लो। 
 प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो॥
 असंख्य कीर्ति रश्मियाँ, 
विकीर्ण दिव्य दाह-सी। 
 सपूत मातृभूमि के, 
रुको न शूर साहसी॥
 अराति सैन्य सिन्धु में, सुबाड़वाग्नि से जलो। 
 प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥

Himadri Tung Shring se Kavita - Jaishankar Prasad II हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद

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