Samarpan Kavita - Subhadra Kumari Chauhan (समर्पण- सुभद्रा कुमारी चौहान)

सूखी सी अधखिली कली है

परिमल नहीं, पराग नहीं। किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन का है इन पर दाग नहीं।। तेरी अतुल कृपा का बदला नहीं चुकाने आई हूँ। केवल पूजा में ये कलियाँ भक्ति-भाव से लाई हूँ।। प्रणय-जल्पना चिन्त्य-कल्पना मधुर वासनाएँ प्यारी। मृदु-अभिलाषा, विजयी आशा सजा रहीं थीं फुलवारी।। किंतु गर्व का झोंका आया यदपि गर्व वह था तेरा। उजड़ गई फुलवारी सारी बिगड़ गया सब कुछ मेरा।। बची हुई स्मृति की ये कलियाँ मैं समेट कर लाई हूँ। तुझे सुझाने, तुझे रिझाने तुझे मनाने आई हूँ।। प्रेम-भाव से हो अथवा हो दया-भाव से ही स्वीकार। ठुकराना मत, इसे जानकर मेरा छोटा सा उपहार।।



Read More Poems (Kavita):

  1. Balika ka Parichay kavita (बालिका का परिचय- सुभद्रा कुमारी चौहान)
  2. आशा का दीपक -रामधारी सिंह दिनकर
  3. अटल बिहारी वाजपेयी की कविता - कदम मिलाकर चलना होगा
  4. निशा निमंत्रण -हरिवंशराय बच्चन ( Nisha Nimantran- Harivansh Rai Bachhan)
  5. मधुशाला के कुछ पद्य (Madhushala)
  6. तू खुद की खोज में निकल- Tanveer Ghanji
  7. पुष्प की अभिलाषा - माखनलाल चतुर्वेदी
  8. ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं - रामधारी सिंह दिनकर
  9. अनोखा दान | Anokha Daan - Subhadra Kumari Chauhan                          
Previous Post Next Post