Teachings of Buddha - Inspirational story
गौतम बुद्ध की शिक्षा - एक प्रेरक कहानी -१
काशी में भगवान बुद्ध एक बार भिक्षा मांगने के लिए किसी गृहस्थी के द्वार पर गए जिसका नाम रामदास था। भगवान बुद्ध ने आवाज लगायी और उस गृहस्थी के द्वार पर बड़ी देर खड़े रहे। रामदास अंदर से आया और उसने भगवान् बुद्ध से कहा कि क्या बात है, तो भगवान् बुद्ध ने कहा कि मेरे पास कुछ खाने को नहीं है, मैं भिक्षा मांगने निकला हूँ। आपके पास यदि कुछ खाने को हो तो मुझे भिक्षा के रूप में देने की कृपा करें।रामदास ने कहा कि आप थोड़ा और रुकिए मै देखता हूँ की घर में कुछ खाने को है की नहीं। रामदास अंदर गया और देखा की उसके घर में आज खीर बनी हुयी थी, वह अंदर से ही चिल्ला कर बोला की महात्मा जी आप रुकिए मै आप के लिए खीर लाता हूँ।
रामदास का प्रश्न :
भगवान बुद्ध ने सोचा की इतनी देर तक रुका हूँ तो थोड़ी देर और रुक जाता हूँ। रामदास ने अंदर से एक बड़े से बर्तन में खीर ले कर आया, उसने बोला की महात्मा जी आप अपना पात्र लाईये मैं उसमे खीर डाल देता हूँ लेकिन उससे पहले आपको मेरे एक सवाल का जवाब देना पड़ेगा।Teachings of Buddha - Inspirational story
भगवान बुद्ध बोले कि की ठीक है पहले अपना प्रश्न पूछो। रामदास ने कहा कि मुझे ईश्वर प्रेम चाहिए। ईश्वर प्रेम कैसे मिलेगा? मैं बड़े बड़े संतों के पास गया, मैंने बड़े बड़े ग्रन्थ पढ़े, किताबें पढ़ी, लेकिन मेरे अंदर भगवत्प्रेम नहीं जागा। तो बताइये कि मेरे ह्रदय में ईश्वर प्रेम कैसे जागेगा?
भगवान्बु बुद्ध ने कहा कि तुमने सवाल तो बहुत कठिन पूछा है लेकिन ठीक है मैं तुमको जवाब जरूर दूंगा। लेकिन रामदास पहले तुम जो लाये हो कृपा करके मुझे दो ताकि मै उसे खा कर अपनी भूख को मिटा सकूँ, फिर मैं आराम से बैठ कर तुम्हारे सवाल का जवाब सोचता हूँ।
रामदास की मनोव्यथा :
रामदास ने बोला महात्मा जी आप अपना बर्तन लाइए मै खीर आपके पात्र में डाल देता हूँ। इस पर भगवान् बुद्ध ने अपनी झोली में से एक पात्र निकाला, जब वो खीर डालने लगा तो उसने देखा कि वो पात्र तो बड़ा मैला था। उसमें दुनिया भर की धूल मिट्टी लगी हुई थी। लगता था वो कई दिनों से धुला ही नहीं हैं। बड़ा गन्दा था। जब वो डालने लगा तो उसके हाथ रुक गए। उसने कहा कि महात्मा जी, मैं इसमें खीर तो डाल दूँगा लेकिन मेरा डालना बेकार हो जायेगा क्योंकि आपका ये पात्र इतना गन्दा है। आप खीर ले तो लोगे लेकिन खा नहीं पाएंगे, इतनी मिट्टी इतनी धूल, इसमें तो मेरा डालना बेकार हो जायेगा, आप पहले इस पात्र को स्वच्छ कर लीजिये, धोकर ले आईये, फिर मैं आपके पात्र में खीर डालता हूँ ।Teachings of Buddha - Inspirational story
महात्मा बुद्ध का उत्तर :
इतना सुनने के बाद भगवान् बुद्ध ने हंसकर कहा कि रामदास बस यही तुम्हारे प्रश्न का भी जवाब है। तुमने पूछा कि ईश्वर प्रेम कैसे मिले तो सुनो, अभी तुम्हारे मन का जो पात्र है वह बड़ा मैला है, पहले सत्संग करके, नामजप करके, पूजा पाठ करके, अपने कर्तव्यों को बखूबी निभा कर, अपने मन रूपी पात्र को साफ़ कर लो, तो अपने आप भगवत्प्रेम आपके अन्तःकरण में प्रकट हो जायेगा।कहानी का सार :
इस कहानी का सार यह है की सबसे पहले हमें अपने अंतःकरण को शुद्व करना होगा, अपने मन को पानी के जैसे निर्मल रखना होगा। अपने मन रूपी पात्र को साफ़ करना होगा, पहले इसकी गन्दगी दूर करना होगा। सत्संग करके , भगवत भजन करके हम अपने मन के मैल को दूर कर सकते है। एक बार हमारे मन का मैल दूर हो गया तो भगवत निष्ठा, भगवत प्रेम अपने आप अन्तःकरण से उद्धृत हो उठेगा और हम खुद बखुद भगवान की तरफ खींचे चले जायेंगे।
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